दोस्तों आज हम जानेंगे मध्य प्रदेश राज्य के एक खूबसूरत शहर शाहगढ़ (Shahgarh) के बारे में इस Post को अंत तक जरूर Padhana क्योंकि मध्य प्रदेश के शहर की कई ऐसी खासियत है। जिसे शायद ही आप जानते होंगे। तो चलिए दोस्तों फिर Shahgarh ke Bare me Jnate हैं।
शाहगढ़ खूबसूरत पर्यटन स्थल (Shahgarh ke Bare me)
शाहगढ़ अपने खूबसूरत पर्यटन स्थल के लिए। पूरे सागर जिला में जाना जाता है। शाहगढ़ भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में सागर जिले का एक कस्बा और एक तहसील है। इस शहर की स्थापना महाराजा बखत बली शाह ने की थी। यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 86 रूट, राष्ट्रीय राजमार्ग 539 और एमपी एसएच 37 से जुड़ा हुआ है। इस शहर की इसके जिले सागर से दूरी तकरीबन 73 किलोमीटर है।
इस शहर की जनसंख्या की बात करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार शाहगढ़ शहर की जनसंख्या 16000 से ऊपर थी। यह शहर अपने कई पड़ोसी जिलों से घिरा हुआ है। सागर जिला, छतरपुर जिला, टीकमगढ़ जिला, दमोह जिला। वहीं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शाहगढ़ से 242 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर स्थित शिक्षा संस्थान में कॉलेज शासकीय महाविद्यालय शाहगढ़ पिपरा।
- गवर्नमेंट एक्सीलेंस स्कूल
- अभिनव विधा मंदिर स्कूल
- Govt मॉडल स्कूल आदि।
पर्यटन स्थल
यहाँ पर बोली जाने वाली भास्यें हिन्दी और बुंदेली अपनी पहली भाषा के रूप में बोलते हैं। यहाँ के पर्यटन स्थलों में
- भीमकुंड
- चंदिया डैम
- बिला बाँध डैम
- माँ अवर माता मंदिर आदि,
Shahgarh ke के पर्यटक स्थल
- यहाँ पर स्थित प्रीत्मा बाबा साहेब आंबेडकर की प्रीतम
- स्टेंड पर महाराजा बखत बली शाह जू की ओर
- बाज़ार में महात्मा गांधी की प्रीतमा मोजूद है।
15वीं शताब्दी में यह गाँव गौंड़ शासकों के अधीन था। तब यह गढ़ करीब 750 गांवों का था। गौंड़ शासकों के बाद यह छत्रसाल बुंदेला के अधिकार में आया जिसने यहाँ एक किलेदार तैनात किया था। चलिए अब जानते हैं शाहगढ़ शहर पर अंग्रेजों के शासन काल के बारे में,
अंग्रेजों के शासन काल में Shahgarh
बखत बली अर्जुनसिंह का भतीजा था। उसके पास 150 घुड़सवार और करीब 800. 800 पैदल सैनिकों की सेना थी। वह सन् 1857 1847 की क्रांति में शामिल हो गया था। उसने चरखारी पर आक्रमण के समय तात्या टोपे की सहायता की थी। बाद में नाना साहिब द्वारा ग्वालियर में स्थापित शासन में उसे भी सम्मिलित होने को आमंत्रित किया गया था।
सितंबर 1858-1858में बखत बली को ग्वालियर जाते समय अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। उसे राजबंदी के रूप में लाहौर भेज दिया गया। वहाँ उसे मारी दरवाजा में हाकिम राय की हवेली नामक स्थान पर रखा गया। बखतबली के राज्य को अंग्रेजों ने जब्त कर लिया। वह राज्य कितना विस्तृत था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके कई भाग अब सागर, दमोह और झांसी जिलों में शामिल हैं। 29 सिंतंबर 1873 को राजा बखत बली की मृत्यु वृंदावन में हुई थी।
शाहगढ़ का किला
अंग्रेजों ने शाहगढ़ को इसी नाम के परगने का मुख्यालय बनाया था। इसमें करीब 500 वर्ग किमी में करीब सवा सौ गाँव थे। शाहगढ़ में कुछ ऐतिहासिक अवशेष अभी भी हैं। यहाँ राजा अर्जुनसिंह द्वारा बनवाए गए दो मंदिर हैं। बड़े मंदिर में भित्ति चित्रणों की सजावट है। इसके अतिरिक्त यहाँ चार समाधियाँ और राज-परिवार की एक विशाल समाधि भी है।
Shahgarh ki भौगोलिक परिस्थितियाँ
एक समय शाहगढ़ व आसपास के इलाके में कच्चे लोहे की खदानें थीं। इन खदानों से निकाला गया लोहा स्थानीय पद्धति से गलाया जाता था हालांकि अब इसका कोई विशेष महत्व नहीं है। एक समय यहाँ एक अच्छा नरम पत्थर मिलता था जिसके कप और गरल बनाए जाते थे। पुराने समय में शाहगढ़ के बने मिट्टी के बर्तन काफी मशहूर थे। इसी कारण वहाँ एक मिट्टी के बर्तन बनाने का प्रशिक्षण केंद्र भी खोला गया था।
धार्मिक परंपरा
Shahgarh में शिवरात्रि के अवसर पर एक मेला लगता है जिसमें आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। साप्ताहिक हाट की परंपरा आज भी जारी है और शनिवार को कस्बे में हाट बाज़ार भरता है। इनका एक तालाब भी था ओर रानी कभी क़िले से बाहर नई निकलती थी।
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