Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई-जाने कैसे करें? जीरे की खेती

Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई

Jeera Ki Kheti ki Jankari: आजकल युवाओं में स्वरोजगार की ओर रुझान बढ़ रहा है। कई पढ़े-लिखे लोगों ने कोरोना काल में कृषि को रोजगार के रूप में चुना है। आज भी खेती में कमाई (kheti se paisa kamaye) कई संभावनाएँ हैं। कई लोग इसमें अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं। अगर आप भी खेती से अच्छा पैसा (kheti se paisa) कमाना चाहते हैं तो आपको जीरे की खेती (Jeera Ki Kheti) करनी चाहिए।

Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई
Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई

जीरा की खेती करना चाहिए (Jeera Ki Kheti)

मसाला फसलों में Jeera का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोई भी sabji बनानी हो या dal या अन्य कोई डिश सभी में जीरे का प्रयोग किया जाता है। बिना Jeera के सारे मसालों का स्वाद फीका-सा लगता है। जीरे को भूनकर छाछ, दही आदि में डालकर खाया जाता है।

Jeera न केवल आपके स्वाद को बढ़ता है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन काफी फायदेमंद है। इसका पौधा दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक (Jirak) कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने (pachan Shakti Badhana) में सहायता करने वाला।

यदि इसकी उन्नत tarike se kheti की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं जीरे की Unnat kheti का तरीका और इस दौरान ध्यान रखने वाली बातों के बारें में ताकि किसान भाइयों, युवाओं और बेरोजगारों को Jeera Ki Kheti से लाभ मिल सके.

जीरा की मांग दिन-प्रतिदिन

Jeera एक ऐसी फसल है, जिसका प्रयोग मसालों में किया जाता है। साथ ही इसके औषधीय गुणों के कारण इससे दवाएँ भी बनाई जाती हैं। इसलिए इसकी मांग साल भर बनी रहती है और यह अच्छी कमाई करती है। अगर Jeera Ki Kheti की जाए और उसकी मार्केटिंग सही तरीके से की जाए तो यह बिजनेस वार कर सकता है।

जीरा Ka वानस्पतिक नाम-क्यूमिनम सायमिनम, Apiaceae family का एक पुष्पीय पौधा है। जीरा इसी नाम (जैविक नाम-cuminum cyminum) के जैविक पौधे के बीज को कहा जाता है। इसका पौधा 30-50 सेमी (0.98-1.64 ft) की ऊंचाई तक बढ़ता है और इसके फ़लों को हाथ से ही तोड़ा जाता है।

इसके तने में कई शाखाएँ होती हैं एवं पौधा 20-30 सेंमी ऊंचा होता है। प्रत्येक शाखा की 2-3 उपशाखाएँ होती हैं एवं सभी शाखाएँ समान ऊंचाई लेती हैं। जिनसे ये छतरीनुमा आकार ले लेता है। इसका तना गहरे हरे रंग का सलेटी आभा लिए हुए होता है। इन पर 5-10 cm. की धागे जैसे आकार की मुलायम पत्तियाँ होती हैं। इनके आगे श्वेत या हल्के गुलाबी वर्ण के छोटे-छोटे पुष्प अम्बेल आकार के होते हैं। प्रत्येक अम्बेल में 5-7 Amblet होती हैं।

जीरा की खेती के लिए मौसम और मिट्टी

दोमट मिट्टी Jeere ki kheti के लिए उपयुक्त होती है। इसे शीत ऋतु में बोया जाता है। जीरा का पौधा ज्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकता। जीरे की बुवाई के समय तापमान 24 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड और पौधे की वृद्धि के समय 20 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए। Jeera Ki बुवाई नवम्बर के तीसरे सप्ताह से दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक करनी चाहिए।

देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा Gujarat and Rajasthan राज्य में उगाया जाता है। राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य का 80 प्रतिशत जीरा पैदा होता है लेकिन इसकी औसत उपज (380 kg / ha) पडौसी राज्य गुजरात (550 kg / ha) के अपेक्षा काफी कम है।

खेत की तैयारी (jeera kheti ke liye Khet taiyari)

जीरा (Jeere) बोने से पहले खेत में गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। इसके बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी (Soil) को उखड़ कर चपटा कर लें। rotavator न हो तो दो-तीन जुताई के बाद सुहागा लगाकर जमीन को समतल कर देना चाहिए। जीरे को उपयुक्त नमी में बोना चाहिए।

Jeere ki बुवाई के लिए उन्नत किस्मों और बीजों का प्रयोग करें। Jeere ki kheti के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई तथा देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।

इसके बाद 5 to 8 feet की क्यारी बनाएँ। ध्यान रहे समान आकार की क्यारियाँ बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में Aasani रहे। इसके बाद 2 किलो बीज प्रति बीघा के हिसाब से लेकर 2 ग्राम Carbendazim नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके ही बुवाई करें। Bubaye हमेशा 30 सेमी दूरी से कतारों में करें। कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से कर सकते हैं।

Jeera ki kheti ke liye किस्मों का चयन

भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न किस्मों की बुवाई की जाती है। इसलिए किस्म के चयन के लिए आप अपने राज्य के Agriculture Department or Agricultural University से संपर्क कर सकते हैं। RZ 19 & 209, RZ 223 & GC 1-2-3 किस्मों को अच्छा माना जाता है। इन किस्मों के बीज 120-125 दिनों में पक जाते हैं। इन किस्मों की औसत उपज 510 to 530 kg प्रति हेक्टेयर है।

बुवाई के 2 से 3 सप्ताह पहले गोबर खाद को भूमि में मिलाना लाभदायक रहता है। यदि Jeera खेत में कीटों की समस्या है, तो फसल की बुवाई के पहले इनके रोकथाम हेतु अन्तिम जुताई के समय quinalphos 1.5 प्रतिशत, 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में डालकर अच्छी तरह से मिला लेना लाभदायक रहता है।

यदि खरीफ की फसल में 10-15 टन Gobar ki Khad प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाली गयी हो तो जीरे की फसल के लिए अतिरिक्त खाद की आवश्यकता नहीं है। अन्यथा 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुताई से पहले गोबर की खाद (Gobar ki Khad) खेत में बिखेर कर मिला देनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त jeere ki fasal को 30 किलो नत्रजन 20 किलो फॉस्फोरस एवं 15 किलो पोटाश उर्वरक प्रति हेक्टेयर की दर से दें। phosphorus potash की पूरी मात्रा एवं आधी नत्रजन की मात्रा बुवाई के पूर्व आखिरी जुलाई के समय भूमि में मिला देनी चाहिए। शेष nitrogen की आधी मात्रा बुवाई के 30 से 35 दिन बाद सिंचाई के साथ दें।

जीरे की फसल में सिंचाई कब-कब करें (jeera ki fasal)

Jeere की बुवाई के तुरन्त बाद एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। जीरे की बुवाई के 8 से 10 दिन बाद दूसरी एक हल्की सिंचाई दे जिससे jeera का पूर्ण रूप से अंकुरण हो पाए। इसके बाद आवश्यकता हो तो 8-10 दिन बाद फिर हल्की सिंचाई की जा सकती है। इसके बाद 20 दिन के अंतराल पर दाना बनने तक 3 और सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रहे दाना पकने के समय जीरे में सिंचाई नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से बीज chota बनता है।

कब करें जीरे की कटाई (jeera fasal ki katai)

जब बीज एवं पौधा भूरे रंग का हो जाएँ तथा फसल (fasal) पूरी पक जाए तो तुरंत इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। पौधों को अच्छी प्रकार से सुखाकर थ्रेसर से मंढाई कर दाना अलग कर लेना चाहिए। दाने को अच्छे प्रकार से सुखाकर ही साफ बोरों में इसका भंडारण करना चाहिए।

जीरा खेती से प्राप्त उपज और लाभ

बात करें इससे प्राप्त उपज की तो जीरे की औसत उपज 7-8 quintals बीज प्रति हेक्टयर प्राप्त हो जाती है। जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का खर्च आता है। जीरे के दाने (jeera ke Dane) का 100 रुपए प्रति किलो भाव रहना पर 40 से 45 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

अब उपज और उससे होने वाली कमाई की बात करें तो जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर हो जाती है। जीरे की खेती में प्रति हेक्टेयर लगभग 30, 000 रुपये खर्च किए जाते हैं। अगर जीरे का भाव 100 रुपये प्रति किलो लिया जाए तो प्रति हेक्टेयर कमाई 80000 रुपये होती है। इस तरह प्रति हेक्टेयर शुद्ध लाभ 50000 रुपये होता है। ऐसे में अगर 4 हेक्टेयर में भी Jeera Ki Kheti की जाती है, तो इसमें लगभग 3 महीने, 200000 रुपये बचाए जा सकते हैं।

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