वैज्ञानिकों ने फिर दुनिया की हालत पर चिंता जताई: IPCC climate report के अनुसार दुनिया कब खत्म हो होगी? आपदा (Disaster) कब आएगी? धरती का अंत (End of the earth) कब होगा? ऐसे सवालों का सही जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया है।
हालांकि इस गूढ़ रहस्य को लेकर अक्सर अटकलें लगाई जाती हैं। वैज्ञानिकों (Scientists) के अलावा ऐसी पहेलियों को सुलझाना आसान नहीं होगा। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक बार फिर दुनिया और पर्यावरण के मौजूदा हालात पर चिंता जताते (Vaigyanikon Ne Fir Duniya Ki Halat Per Chinta Jatai) हुए कुछ अनुमान साझा किए हैं।
Vaigyanikon Ne Fir Duniya Ki Halat Per, पृथ्वी पर निर्णय दिवस के लिए अलर्ट, आईपीसीसी के वैज्ञानिक (IPCC Scientists) ने ग्लोबल वार्मिंग प्रकृति के माध्यम से ग्रह पर खतरे का खुलासा किया। दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों ने बताई (Duniya Ke Vaigyanikon Ne) कयामत की तारीख! क्या वाकई धरती खत्म हो जाएगी?
दुनिया के कई शहरों के डूबने की चेतावनी (Duniya ke Kai Saharo per Khatra)
समुद्र के बढ़ते जलस्तर (Samudra Ke badhate Jal star) के बीच दुनिया के कई शहरों के डूबने (Duniya ke Kai Saharo per Khatra) की चेतावनी कई बार जारी की जा चुकी है। इस लिस्ट में मुंबई समेत भारत के कई शहर भी शामिल हैं। वहीं ग्लेशियरों (Glaciers) के पिघलने और कोरोना महामारी जैसी आपदाओं के बीच धरती पर और भविष्य में और भी खतरों की आशंका (Threat Of Danger) जताई जा रही है।
दरअसल वैज्ञानिकों ने कहा (Scientists Said) है कि इस सदी के अंत तक धरती पर भयानक आपदाएँ आएंगी। साइंस वर्ल्ड (science world) से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पत्रिका नेचर (magazine nature) ने हाल ही में एक सर्वे किया था।
जिसमें दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों (Top Scientists) ने भाग लिया। आईपीसीसी की क्लाइमेट रिपोर्ट (IPCC climate report) बनाने वाले वैज्ञानिकों ने इस शोध में चेतावनी दी है कि वर्ष 2100 तक जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) में वृद्धि हुई है, उसके अनुसार पृथ्वी पर भयानक परिवर्तन होंगे। जो किसी प्रलय से कम नहीं होगा।
जीना मुश्किल होने वाला (Jina Mushkil hone wala)
‘ज्यादा समय नहीं बचा’ आईपीसीसी की जलवायु रिपोर्ट (IPCC climate report) दुनिया के 234 वैज्ञानिकों ने तैयार की है। शोध में शामिल एक शोधकर्ता पाओला एरियस (Researcher Paola Arias) के मुताबिक, दुनिया जितनी तेजी से बदल रही है। लोगों की जरूरतें बदल रही हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन (exploitation of resources) किया जा रहा है। प्रदूषण और गर्मी बढ़ती जा रही है, उसके मुताबिक जीना मुश्किल होने वाला (Jina Mushkil hone wala) है। पृथ्वी को उसकी गति के अनुसार नहीं बचाया जा सकता है।
नेचर ने अपने ट्विटर मैं विश्लेषण दिया (Nature posted its analysis on Twitter)
@Nature: एक प्रकृति सर्वेक्षण से पता चलता है कि नवीनतम आईपीसीसी जलवायु विज्ञान रिपोर्ट (IPCC climate report) के कई लेखक भविष्य के बारे में चिंतित हैं और अपने जीवन में विनाशकारी परिवर्तन देखने की उम्मीद करते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं (natural disasters) के कारण लोग बड़े पैमाने पर विस्थापित हो रहे हैं। आईपीसीसी की जलवायु रिपोर्ट (IPCC climate report) में जो बातें कही गई हैं, उसके मुताबिक इंसानों के पास धरती को बचाने के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है।
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