London IBS New Study: शोधकर्ताओं का कहना है कि आंत्र विकार वाले लोगों में अक्सर देखी जाने वाली चिंता–चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) , कुछ जीनों द्वारा समझाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि आईबीएस 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है और इससे पेट में दर्द, सूजन और कब्ज, दस्त या दोनों हो सकते हैं।
IBS New Study इलाज में मदद करेगा
बीबीसी की रिपोर्ट (BBC report) के अनुसार, शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी खोज आईबीएस को गलत तरीके से भावनात्मक स्थिति या ‘सब दिमाग में’ के रूप में लेबल करने से रोकेगी।
50 हजार लोगों पर किया गया अध्ययन
नेचर जेनेटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में 50, 000 से अधिक लोगों की जांच की गई। उनके डीएनए (DNA) की तुलना स्वस्थ लोगों से की गई। इस जांच के आधार पर, टीम ने कम से कम छह अलग-अलग आनुवंशिक अंतरों की पहचान की। ये अंतर, आंशिक रूप से, आंत और मस्तिष्क के बीच की कड़ी की व्याख्या कर सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार आंत को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नसों की अहम भूमिका होती है। इससे पेट में गड़बड़ी होने पर संदेश तुरंत दिमाग तक पहुँच जाता है और व्यक्ति चिंतित हो जाता है।
पीड़ितों में चिंता और अनिद्रा के लक्षण
वही आनुवंशिक अंतर लोगों को IBS के बढ़ते जोखिम में डालता है। जिससे पीड़ितों में चिंता, अवसाद और विक्षिप्तता के साथ-साथ अनिद्रा की समस्या भी बढ़ जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खोज आईबीएस (IBS) के लिए बेहतर परीक्षण और उपचार विकसित करने में मदद कर सकती है।
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