सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु-गुरु नानक देव (Guru Nanak) की जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन देश समेत पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाई जाती है। इस जयंती को प्रकाश उत्सव या गुरु परब के नाम से भी जाना जाता है।
यह सिख समुदाय के पवित्र त्योहारों में से एक है और हर साल बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक (Guru Nanak) जयंती उत्सव पूर्णिमाशी के दिन या पूर्णिमा के दिन से दो दिन पहले शुरू होता है। इसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन आदि अनुष्ठान शामिल हैं।
त्योहार कैसे मनाया जाता है?
उत्सव गुरु नानक (Guru Nanak) जयंती के मुख्य दिन अमृत वेला से शुरू होता है। इस दिन गुरुद्वारों में सुबह भजन गाए जाते हैं। इसके बाद कथा और कीर्तन का पाठ होता है। वहाँ, प्रार्थना के बाद, सिख लंगर या समुदाय,
भोजन का भी आयोजन किया जाता है। शहरों में कई जगहों पर लंगर भी लगाए जाते हैं। वहीं गुरुद्वारों में लंगर के बाद कथा और कीर्तन का पाठ जारी रहता है और रात में गुरबानी गायन के साथ उत्सव का समापन होता है।
इन नामों से जाना जाता है
गुरु नानक (Guru Nanak) देव जी को मानने वाले उन्हें नानक, नानक (Nanak) देव जी, बाबा नानक, नानक साहब और नानक शाह के नाम से भी जानते हैं। उन्हें लद्दाख और तिब्बत में नानक लामा भी कहा जाता है।
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गुरु नानक (Guru Nanak) जी के व्यक्तित्व में एक दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु के गुण थे। अधिकांश लोगों का मानना है कि बाबा नानक एक सूफी संत थे और उनके सूफी कवि होने का प्रमाण लगभग सभी इतिहासकारों ने समय-समय पर दिया है।
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