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Basava Jayanti 2023: कौन हैं बसवन्ना? उन्होंने लिंगायत समाज की स्थापना क्यों की?

बसव जयंती 2023

महान संत बसवेश्वर की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं! बसवेश्वर जी के जन्मदिन को लिंगायत समुदाय के लोग पूरे उत्साह और आनंद के साथ मनाते हैं। बसवेश्वर जी एक महान संत थे, जिन्होंने अनेकों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया। उन्होंने सभी मनुष्यों को समान अधिकार दिए और जाति-धर्म के भेदभाव को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। बसवेश्वर जी के द्वारा प्रचलित विचारों ने लिंगायत समुदाय के अलावा दूसरे समुदायों को भी प्रभावित किया।

वे भक्ति के माध्यम से मानवता की सेवा करने का संदेश देते थे। उनकी शिक्षाओं में सभी लोगों के लिए एक समान मूल्य था और उन्होंने इसे अपने जीवन के दौरान स्पष्ट किया। इस बसव जयंती पर, हम सभी लिंगायत समुदाय के लोग बसवेश्वर जी को समर्पित हैं और उनके विचारों को याद करते हैं। उनका संदेश आज भी वैश्विक समाज के लिए एक मार्गदर्शक है और हमें उनकी उपदेशों का पालन करना चाहिए |

उनकी उपदेशों में से एक बहुत महत्वपूर्ण उपदेश था – “कायकवे कल्माष हरु दूरि करि सत्पुरुषवेश्वर पूजे प्राणी तरतु निर्वाणी” यानी कि मनुष्य अपनी कर्मों से अपने कल्मषों को दूर करे और सत्पुरुष के प्रति अनुराग और भक्ति रखे।उन्होंने जीवन में यह सिद्धांत अपनाया था और लोगों को भी इसे अपनाने की सलाह दी थी। बसवेश्वर जी के विचारों ने समाज में विस्तार के साथ-साथ उच्चतर विचारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने भक्ति और भावना को संगीत और कविता के माध्यम से व्यक्त किया।

लिंगायत समाज की स्थापना क्यों की?

उनकी वाणी का प्रभाव आज भी हमारे जीवन में है और हमें उनसे प्रेरणा मिलती है। इस बसव जयंती पर, हमें बसवेश्वर जी के जीवन और उनके संदेशों को समझने की जरूरत है और उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। हमें समस्त जाति-धर्म को समान अधिकार देने की आवश्यकता है और इसे पूरा करने के लिए हमें संघर्ष करना चाहिए। आशा है कि हम सभी बसव जयंती के अवसर पर बसवेश्वर जी के विचारों को समझेंगे और उनकी शिक्षाओं को अपनाकर समाज को एक नई दिशा देंगे।

लिंगायत मत के अनुयायी इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं और इस अवसर पर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन पर विशेष भोजन की व्यवस्था की जाती है और समाज के लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों के लम्हों का अनुभव करते हैं। अंततः, बसव जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें अपने संस्कृति और इतिहास को याद दिलाता है। इस दिन का उत्सव हमें समाज के मूल्यों के प्रति उत्साह देता है और हमें एक बेहतर समाज के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

पेट में गैस बनना घरेलू उपाय क्या है? गैस की समस्या से छुटकारा

पेट में गैस बनना घरेलू उपाय: कई बार खाने, बैठने और दिन भर काम करने या ज्यादा चाय पीने से भी गैस की समस्या हो जाती है। कुछ लोगों के लिए गैस की समस्या तब और बढ़ जाती है जब दिनचर्या में बदलाव होता है या यात्रा करते समय। गलत खान-पान से गैस बनने की समस्या और बढ़ जाती है। अगर आप भी गैस की समस्या से परेशान हैं तो आज हम आपको पेट में गैस बनना घरेलू उपाय बता रहे हैं जिससे आंतों में गैस बनना समस्या से निजात पा सकते हैं।

पेट में गैस बनना घरेलू उपाय
पेट में गैस बनना घरेलू उपाय

पेट में गैस बनना घरेलू उपाय

1-अजवाइन-अगर आपको गैस हो रही है तो सबसे पहले नमक और अजवाइन लें। अजवायन के बीजों में थायमोल नामक यौगिक होता है, जो गैस्ट्रिक जूस को स्रावित करता है। अजवाइन खाने से पाचन क्रिया तेज होती है और गैस की समस्या में आराम मिलता है। आप लगभग आधा चम्मच अजवाइन को पीसकर उसमें थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर पानी के साथ पी लें। गैस की रामबाण दवा इससे तुरंत राहत मिलेगी।

2-जीरा पानी-गैस्ट्रिक या गैस की समस्या वाले लोगों के लिए भी जीरा पानी एक अच्छा उपाय है। जीरे में आवश्यक तेल होते हैं, जो लार ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं। जीरा खाने से खाना अच्छे से पचता है और इससे पेट में गैस नहीं बनती है। इसके लिए आप 1 चम्मच जीरा लें और इसे दो कप पानी में 10-15 मिनट तक उबालें। इस पानी को ठंडा करके खाने के बाद पिएँ।

गैस की समस्या से छुटकारा

3-हींग को पानी-खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना, हींग बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को गैस में राहत देती है। इसके लिए आप आधा चम्मच हींग लें। इसे गुनगुने पानी में मिलाकर पीएँ। हींग का पानी पीने से गैस बनना कम होता है। हींग पेट को भी साफ करती है और गैस में आराम देती है।

4-अदरक-खाली पेट गैस की दवा, गैस होने पर भी आप अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप अदरक की चाय पी सकते हैं। ध्यान रहे कि आपको दूध वाली चाय नहीं पीनी है। इसके लिए 1 कप पानी में अदरक के टुकड़े डालकर अच्छी तरह उबाल लें। अब इस पानी को गुनगुना पी लें। इससे आपको गैस में आराम मिलेगा।

5-बेकिंग सोडा और नींबू-गैस और अपच को दूर करने के लिए आप बेकिंग पाउडर और नींबू के रस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए एक कप पानी में 1 चम्मच नींबू का रस और आधा चम्मच बेकिंग पाउडर मिलाएँ। इसे तुरंत पी लें। इससे पेट की गैस में जल्दी आराम मिलेगा।

अस्वीकरण:

Hindi All India World इस लेख में बताए गए पेट में गैस बनना घरेलू उपाय तरीकों और दावों की पुष्टि नहीं करता है। इन्हें केवल सुझाव के रूप में लें। ऐसे किसी भी उपचार / दवा / आहार का पालन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

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Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई-जाने कैसे करें? जीरे की खेती

Jeera Ki Kheti ki Jankari: आजकल युवाओं में स्वरोजगार की ओर रुझान बढ़ रहा है। कई पढ़े-लिखे लोगों ने कोरोना काल में कृषि को रोजगार के रूप में चुना है। आज भी खेती में कमाई (kheti se paisa kamaye) कई संभावनाएँ हैं। कई लोग इसमें अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं। अगर आप भी खेती से अच्छा पैसा (kheti se paisa) कमाना चाहते हैं तो आपको जीरे की खेती (Jeera Ki Kheti) करनी चाहिए।

Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई
Jeera Ki Kheti से अच्छी खासी कमाई

जीरा की खेती करना चाहिए (Jeera Ki Kheti)

मसाला फसलों में Jeera का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोई भी sabji बनानी हो या dal या अन्य कोई डिश सभी में जीरे का प्रयोग किया जाता है। बिना Jeera के सारे मसालों का स्वाद फीका-सा लगता है। जीरे को भूनकर छाछ, दही आदि में डालकर खाया जाता है।

Jeera न केवल आपके स्वाद को बढ़ता है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सेवन काफी फायदेमंद है। इसका पौधा दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक (Jirak) कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने (pachan Shakti Badhana) में सहायता करने वाला।

यदि इसकी उन्नत tarike se kheti की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं जीरे की Unnat kheti का तरीका और इस दौरान ध्यान रखने वाली बातों के बारें में ताकि किसान भाइयों, युवाओं और बेरोजगारों को Jeera Ki Kheti से लाभ मिल सके.

जीरा की मांग दिन-प्रतिदिन

Jeera एक ऐसी फसल है, जिसका प्रयोग मसालों में किया जाता है। साथ ही इसके औषधीय गुणों के कारण इससे दवाएँ भी बनाई जाती हैं। इसलिए इसकी मांग साल भर बनी रहती है और यह अच्छी कमाई करती है। अगर Jeera Ki Kheti की जाए और उसकी मार्केटिंग सही तरीके से की जाए तो यह बिजनेस वार कर सकता है।

जीरा Ka वानस्पतिक नाम-क्यूमिनम सायमिनम, Apiaceae family का एक पुष्पीय पौधा है। जीरा इसी नाम (जैविक नाम-cuminum cyminum) के जैविक पौधे के बीज को कहा जाता है। इसका पौधा 30-50 सेमी (0.98-1.64 ft) की ऊंचाई तक बढ़ता है और इसके फ़लों को हाथ से ही तोड़ा जाता है।

इसके तने में कई शाखाएँ होती हैं एवं पौधा 20-30 सेंमी ऊंचा होता है। प्रत्येक शाखा की 2-3 उपशाखाएँ होती हैं एवं सभी शाखाएँ समान ऊंचाई लेती हैं। जिनसे ये छतरीनुमा आकार ले लेता है। इसका तना गहरे हरे रंग का सलेटी आभा लिए हुए होता है। इन पर 5-10 cm. की धागे जैसे आकार की मुलायम पत्तियाँ होती हैं। इनके आगे श्वेत या हल्के गुलाबी वर्ण के छोटे-छोटे पुष्प अम्बेल आकार के होते हैं। प्रत्येक अम्बेल में 5-7 Amblet होती हैं।

जीरा की खेती के लिए मौसम और मिट्टी

दोमट मिट्टी Jeere ki kheti के लिए उपयुक्त होती है। इसे शीत ऋतु में बोया जाता है। जीरा का पौधा ज्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकता। जीरे की बुवाई के समय तापमान 24 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड और पौधे की वृद्धि के समय 20 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए। Jeera Ki बुवाई नवम्बर के तीसरे सप्ताह से दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक करनी चाहिए।

देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा Gujarat and Rajasthan राज्य में उगाया जाता है। राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य का 80 प्रतिशत जीरा पैदा होता है लेकिन इसकी औसत उपज (380 kg / ha) पडौसी राज्य गुजरात (550 kg / ha) के अपेक्षा काफी कम है।

खेत की तैयारी (jeera kheti ke liye Khet taiyari)

जीरा (Jeere) बोने से पहले खेत में गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। इसके बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी (Soil) को उखड़ कर चपटा कर लें। rotavator न हो तो दो-तीन जुताई के बाद सुहागा लगाकर जमीन को समतल कर देना चाहिए। जीरे को उपयुक्त नमी में बोना चाहिए।

Jeere ki बुवाई के लिए उन्नत किस्मों और बीजों का प्रयोग करें। Jeere ki kheti के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई तथा देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।

इसके बाद 5 to 8 feet की क्यारी बनाएँ। ध्यान रहे समान आकार की क्यारियाँ बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में Aasani रहे। इसके बाद 2 किलो बीज प्रति बीघा के हिसाब से लेकर 2 ग्राम Carbendazim नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके ही बुवाई करें। Bubaye हमेशा 30 सेमी दूरी से कतारों में करें। कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से कर सकते हैं।

Jeera ki kheti ke liye किस्मों का चयन

भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न किस्मों की बुवाई की जाती है। इसलिए किस्म के चयन के लिए आप अपने राज्य के Agriculture Department or Agricultural University से संपर्क कर सकते हैं। RZ 19 & 209, RZ 223 & GC 1-2-3 किस्मों को अच्छा माना जाता है। इन किस्मों के बीज 120-125 दिनों में पक जाते हैं। इन किस्मों की औसत उपज 510 to 530 kg प्रति हेक्टेयर है।

बुवाई के 2 से 3 सप्ताह पहले गोबर खाद को भूमि में मिलाना लाभदायक रहता है। यदि Jeera खेत में कीटों की समस्या है, तो फसल की बुवाई के पहले इनके रोकथाम हेतु अन्तिम जुताई के समय quinalphos 1.5 प्रतिशत, 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में डालकर अच्छी तरह से मिला लेना लाभदायक रहता है।

यदि खरीफ की फसल में 10-15 टन Gobar ki Khad प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाली गयी हो तो जीरे की फसल के लिए अतिरिक्त खाद की आवश्यकता नहीं है। अन्यथा 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुताई से पहले गोबर की खाद (Gobar ki Khad) खेत में बिखेर कर मिला देनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त jeere ki fasal को 30 किलो नत्रजन 20 किलो फॉस्फोरस एवं 15 किलो पोटाश उर्वरक प्रति हेक्टेयर की दर से दें। phosphorus potash की पूरी मात्रा एवं आधी नत्रजन की मात्रा बुवाई के पूर्व आखिरी जुलाई के समय भूमि में मिला देनी चाहिए। शेष nitrogen की आधी मात्रा बुवाई के 30 से 35 दिन बाद सिंचाई के साथ दें।

जीरे की फसल में सिंचाई कब-कब करें (jeera ki fasal)

Jeere की बुवाई के तुरन्त बाद एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। जीरे की बुवाई के 8 से 10 दिन बाद दूसरी एक हल्की सिंचाई दे जिससे jeera का पूर्ण रूप से अंकुरण हो पाए। इसके बाद आवश्यकता हो तो 8-10 दिन बाद फिर हल्की सिंचाई की जा सकती है। इसके बाद 20 दिन के अंतराल पर दाना बनने तक 3 और सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रहे दाना पकने के समय जीरे में सिंचाई नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से बीज chota बनता है।

कब करें जीरे की कटाई (jeera fasal ki katai)

जब बीज एवं पौधा भूरे रंग का हो जाएँ तथा फसल (fasal) पूरी पक जाए तो तुरंत इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। पौधों को अच्छी प्रकार से सुखाकर थ्रेसर से मंढाई कर दाना अलग कर लेना चाहिए। दाने को अच्छे प्रकार से सुखाकर ही साफ बोरों में इसका भंडारण करना चाहिए।

जीरा खेती से प्राप्त उपज और लाभ

बात करें इससे प्राप्त उपज की तो जीरे की औसत उपज 7-8 quintals बीज प्रति हेक्टयर प्राप्त हो जाती है। जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का खर्च आता है। जीरे के दाने (jeera ke Dane) का 100 रुपए प्रति किलो भाव रहना पर 40 से 45 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

अब उपज और उससे होने वाली कमाई की बात करें तो जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर हो जाती है। जीरे की खेती में प्रति हेक्टेयर लगभग 30, 000 रुपये खर्च किए जाते हैं। अगर जीरे का भाव 100 रुपये प्रति किलो लिया जाए तो प्रति हेक्टेयर कमाई 80000 रुपये होती है। इस तरह प्रति हेक्टेयर शुद्ध लाभ 50000 रुपये होता है। ऐसे में अगर 4 हेक्टेयर में भी Jeera Ki Kheti की जाती है, तो इसमें लगभग 3 महीने, 200000 रुपये बचाए जा सकते हैं।

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कम निवेश के साथ Goat Farming शुरू करें, प्रति माह 2 लाख रुपये कमाएँ

Goat Farming: बढ़ती महंगाई में आप नौकरी के निश्चित वेतन से अपना जीवन यापन नहीं कर रहे हैं। इसलिए अगर आप एक्स्ट्रा इनकम चाहते हैं तो कम पैसे में अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। आज हम आपको एक सुपरहिट बिजनेस आइडिया Goat Farming के बारे में बताने जा रहे हैं। इस बिजनेस से आप हर महीने 2 लाख रुपए तक कमा सकते हैं।

लाभदायक व्यवसाय

हम Goat Farming Business के बारे में बात कर रहे हैं Goat Farming व्यवसाय बहुत लाभदायक व्यवसाय है और भारत में लोग बकरी पालन व्यवसाय से बड़ी रकम कमाते हैं।

इस बिजनेस को आप Home से ही शुरू कर सकते हैं। वर्तमान में इसे एक वाणिज्यिक business माना जाता है, जो किसी देश की अर्थव्यवस्था और पोषण में बहुत योगदान देता है। बकरी फार्म ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। Goat Farming से दूध, खाद समेत कई फायदे लिए जा सकते हैं।

Govt. कितनी देगी सब्सिडी?

इस Business को शुरू करना बहुत ही आसान है। इसकी शुरुआत आप सरकारी मदद से कर सकते हैं। दरअसल, हरियाणा Government ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को बढ़ावा देने और स्वरोजगार अपनाने के लिए पशुपालकों को 90 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है। वहीं, अन्य राज्य सरकारें भी सब्सिडी देती हैं।

Indian Government पशुपालन पर 35 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। अगर आपके पास बकरी पालन शुरू करने के लिए पैसे नहीं हैं तो भी आप बैंकों से कर्ज ले सकते हैं। नाबार्ड आपको Goat Farming के लिए ऋण देने के लिए उपलब्ध है

जानिए इसकी कीमत कितनी होगी?

Goat Farming शुरू करने के लिए आपके पास स्थान, चारा, ताजा पानी, आवश्यक श्रम की संख्या, पशु चिकित्सा सहायता, बाज़ार क्षमता और निर्यात क्षमता के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आपको बता दें कि बकरी के दूध से अच्छी खासी कमाई होती है।

आपको बता दें कि बाज़ार में बकरी के दूध की काफी मांग है। Goat Farming कोई नया धंधा नहीं है और यह प्रक्रिया प्राचीन काल से चली आ रही है।

आप कितना कमाओगे?

परियोजना एक बहुत ही लाभदायक business है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 18 बकरियों से औसतन 2, 16, 000 रुपये की आमदनी हो सकती है। वहीं, मेल वर्जन से औसतन 1, 98, 000 रुपये की कमाई की जा सकती है।

Read:- Bakri Palan की जानकारी इन हिन्दी। बकरी पालन से कितना बड़ा लाभ?

हरी मटर का बिजनेस, छोटा निवेश 10 गुना तक कमाएँ, नए बिजनेस आइडिया

हरी मटर का बिजनेस: आज हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया देंगे (हरी मटर का नया व्यवसाय शुरू करें) जैसे ही आप शुरू करेंगे, आपकी लॉटरी निकल जाएगी। यह एक ऐसा बिजनेस है जिसमें बहुत ही कम लागत और कमाई बंपर है।

फ्रोजन मटर का बिजनेस

हम आपको बता रहे हैं फ्रोजन मटर का बिजनेस (जमे हुए हरी मटर व्यवसाय) इसके बारे में। इस बिजनेस में आपको अच्छी खासी कमाई होगी।

आप किसानों से मटर खरीद सकते हैं और अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। मटर की मांग साल भर रहती है लेकिन यह सर्दियों में ही मिलती है। इस धंधे में सबसे पहले मटर की खूब खरीदारी करें। आपको कितने मटर की आवश्यकता होगी।

यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कितना बड़ा व्यवसाय करना चाहते हैं। आपको मार्केट रिसर्च करनी होगी और अंदाजा लगाना होगा कि आप एक साल में कितनी फ्रोजन मटर बेच सकते हैं।

फ्रोजन बिजनेस कैसे शुरू करें?

आपके घर के छोटे से कमरों में फ्रोजन मटर का बिजनेस, घर बैठे पैसे कमाएँ शुरू किया जा सकता है, लेकिन अगर आप बड़े पैमाने पर व्यापार करना चाहते हैं तो 4000 से 5000 वर्ग फुट जगह की आवश्यकता होगी।

वहीं, छोटे पैमाने पर कारोबार शुरू करने पर हरी मटर को छीलने के लिए कुछ मजदूरों की जरूरत पड़ेगी। बड़े पैमाने पर आपको मटर छीलने वाली मशीनों की आवश्यकता होगी। साथ ही कुछ लाइसेंसों की भी आवश्यकता होगी।

इस बिजनेस से कितनी होगी कमाई?

फ्रोजन मटर का व्यवसाय शुरू करने पर 50-80 प्रतिशत तक लाभ मिल सकता है। आप किसानों से हरी मटर 10 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीद सकते हैं। इसमें दो किलो हरी मटर में करीब 1 किलो अनाज निकलता है।

अगर बाज़ार में मटर का भाव 20 रुपये प्रति किलो से मिल जाए तो आप इन मटर को प्रोसेस करके 120 रुपये किलो के हिसाब से थोक में बेच सकते हैं। वहीं अगर आप फ्रोजन मटर के पैकेट सीधे खुदरा दुकानदारों को बेचते हैं तो आपको 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसका मुनाफा मिल सकता है।

जानिए फ्रोजन मटर कैसे बनते हैं?

फ्रोजन मटर बनाने के लिए सबसे पहले मटर के छिलके उतारे जाते हैं। इसके बाद मटर को करीब 90 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर उबाला जाता है। फिर मटर के दानों को 3-5 डिग्री सेंटीग्रेड तक ठंडे पानी में डाल दिया जाता है, जिससे उसमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं।

इसके बाद अगला काम इन मटर को 40 डिग्री तक के तापमान में रखना है। ताकि मटर में बर्फ जम जाए। फिर मटर को अलग-अलग वजन के पैकेट में पैक करके बाज़ार में पहुँचाया जाता है।

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एक्शन फिल्म डॉक्टर पीएस में कॉमेडी स्टेंट डालने वाला डॉक्टर समीक्षा

मुंबई: न तो फिल्म के नायक का चरित्र कॉमेडी का कोई हिस्सा दिखाता है और न ही कहानी ऐसी है कि इसमें हंसी के कुछ दृश्य रखे गए हैं, लेकिन तमिल फिल्म “डॉक्टर” देखते समय आप पूरे समय भ्रम में रहते हैं। इस फिल्म को किस तरह की फिल्म माना जाना चाहिए?

क्या यह एक एक्शन फिल्म है?

यह एक प्रेम कहानी है? क्या यह एक जासूसी कहानी है? क्या यह कॉमेडी फिल्म है? आखिर डॉक्टर है क्या? काफी सर्च करने के बाद शायद आपको जवाब मिल जाए कि फिल्म को देखने लायक बनाने के लिए अनुत्तरित ओपन हार्ट ऑपरेशन की कार्यवाही में एक कॉमेडी स्टेंट डाला गया है।

यह इतनी लंबी और भटकने वाली फिल्म है कि आपको शायद यह पसंद न आए, हालांकि यह इस साल सिनेमाघरों में हिट होने वाली तीसरी सबसे सफल तमिल फिल्म है।

अपना डॉक्टर हीरो

फिल्म का नायक सेना में एक डॉक्टर है और भावनाओं के बजाय पेशा रखते हुए कानून व्यवस्था का जीवन जीना चाहता है। एक शादी में, वह एक लड़की को नाचते और हंसते हुए देखता है और अपने परिवार के सदस्यों से मिलने जाता है। लड़की मना कर देती है लेकिन बिल्ली की किस्मत से छींक टूट जाती है और साथ ही लड़की की भतीजी का अपहरण हो जाता है।

अपना डॉक्टर हीरो अपने जीवन, सैन्य जीवन, थोड़ी तेज बुद्धि और थोड़ी भद्दी पटकथा के सहारे असली खलनायक तक पहुँचता है। उसे मारता है, नायिका की भतीजी और अन्य लड़कियों को भी बचाता है। आखिरकार लड़की को डॉक्टर की यह हरकत पसंद आ जाती है और वे दोनों शादी करके फिल्म का अंत कर देते हैं।

फिल्म के नायक और निर्माता

शिवकार्तिकेयन फिल्म के नायक और निर्माता हैं। शर्ट की गर्दन बटन रखने तक बंद रहती है क्योंकि यह बटन का काम है। चेहरा गंभीर रखा गया है। आवाज और भी गंभीर। यह समझने की कोशिश न करें कि डायलॉग डिलीवरी को फ्लैट क्यों रखा गया है।

तमिल फिल्मों में कई बार तर्क से परहेज किया जाता है। वह जिस सहजता से अपने डॉक्टर होने का फायदा उठाते हैं, वह अजीब लगता है क्योंकि फिल्म की शुरुआत में उन्हें बेहद सख्त पसंद बताया गया है। अपहरण का ऑपरेशन करने के लिए वह पूरे परिवार से सेना से अपील करता है,

जहाँ उसके पास अपने वरिष्ठ की बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जबकि वह अपने एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ (मिलिंद सोमन) की नहीं सुनता है। खैर, तर्क पर समय बर्बाद मत करो। फिल्म की हीरोइन प्रियंका अरुलमोहन को एक सीन को छोड़कर खूबसूरत दिखना था।

यह उनकी पहली तमिल फिल्म

वह भी सामने आई हैं। यह उनकी पहली तमिल फिल्म है, इससे पहले प्रियंका कुल 3 तेलुगु फिल्मों में काम कर चुकी हैं। फिल्म के खलनायक की भूमिका में नायक जैसी शख्सियत वाले अभिनेता विनय राय इतने क्रूर और बुद्धिमान खलनायक हैं कि उन्हें नायक की चालाकी के अलावा सब कुछ स्पष्ट दिखाई देता है।

हैरानी की बात यह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लड़कियों का अपहरण कर उन्हें आगे बेचने के लिए तैयार करने वाले गिरोह का नेता इतना साहसी है। लेकिन जाने दो।

रघु राम और राजीव लक्ष्मण

फिल्म में रघु राम और राजीव लक्ष्मण (रोडीज) जैसे अन्य कलाकार हैं। बहुत ही बेहूदा रोल। एक मेट्रो ट्रेन में अंधेरे में नाइट-विज़न गॉगल्स पहने हीरो और उनके बीच की लड़ाई प्रफुल्लित करने वाली है। बिना वजह कॉमेडी।

एक मशहूर हास्य कलाकार योगी बाबू भी हैं। वह कॉमेडी भी कर रहे हैं। हीरो का साथी बन जाता है और ओवरएक्टिंग करते हुए विलेन के साथ किडनैपिंग की डील करता दिखाई देता है। खलनायक मूर्ख और अंधा दोनों हो जाता है।

सेना में मेजर रहे हिन्दी टेलीविजन और फिल्म अभिनेता बिक्रमजीत कंवरपाल की शायद यह आखिरी फिल्म थी। उनकी मौत कोविड के कारण हुई थी। उनका रोल भी अजीब लगा, हालांकि यह बहुत छोटा था। ये तो वह ही बता सकते हैं कि मिलिंद सोमन ने ये फिल्म क्यों की। फिल्म को इतने अजीब तरीके से लिखा गया है कि पात्रों की बुद्धि पर दया आती है।

फिल्म को निर्देशक नेल्सन दिलीपकुमार

महली (सुनील रेड्डी) और किल्ली (शिव अरबिंदो) जैसे अभिनेता बीच-बीच में कॉमेडी करने की असफल कोशिश करते हैं लेकिन स्थिति ऐसी बनाई जाती है कि दर्शकों को पता चलता है कि यहाँ हंसी है।

फिल्म को निर्देशक नेल्सन दिलीपकुमार ने लिखा है। अगर आप कहानी के मूल को समझें तो यह एक अच्छी कहानी है कि सेना का एक डॉक्टर अपनी मंगेतर की भतीजी को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से बचाने के लिए क्या करता है।

लेकिन फिल्म में निर्देशक नेल्सन और लेखक नेल्सन के बीच का अंतर दिखाई देता है। बतौर निर्देशक नेल्सन की यह दूसरी फिल्म है, लेकिन तर्क के अभाव में फिल्म भी कमजोर हो गई है। फिल्म के संगीतकार अनिरुद्ध रविचंदर (कोलावेरी डी) ने अच्छा संगीत दिया है।

अनिरुद्ध ने नेल्सन की पहली फिल्म

अनिरुद्ध नेल्सन को फिल्मों में लाने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। फिल्म के गाने अच्छे हैं। अनिरुद्ध ने नेल्सन की पहली फिल्म का संगीत भी तैयार किया। तमिल सुपरस्टार विजय की अगली फिल्म “बीस्ट” है जिसमें नेल्सन (लेखक निर्देशक) और अनिरुद्ध (संगीतकार) एक बार फिर साथ आएंगे। वैसे इस फिल्म में एक गाना है जो भारत में टिकटॉक पर बैन पर बनाया गया है और इसे खुद शिवकार्तिकेयन ने लिखा है।

फिल्म को चाइल्ड ट्रैफिकिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर मुद्दों पर बनाया गया है। इसमें डांस गाने और बहुत ही क्लिच्ड ह्यूमर, फिजिकल कॉमेडी और बेमिसाल कॉमेडी है। शिवकार्तिकेयन खुद स्टैंडअप कॉमेडियन रह चुके हैं,

जिससे आदत भले ही छूटे नहीं लेकिन इस फिल्म के लिए जितनी गंभीरता की जरूरत थी, वह अचानक ही कॉमेडी की वजह से खत्म हो गई है। फिल्म लंबी है। चूंकि यह बॉक्स ऑफिस पर सफल होती है, इसलिए सौ पापों को माफ कर दिया जाता है, लेकिन फिल्म में कॉमेडी का एक स्टिंट डालने से भी मन की नसें नहीं खुलती हैं।

अब सरकार जनता को सस्ते दामों पर Sovereign Gold Bond खरीदने का मौका दे रही

सस्ते दामों पर Sovereign Gold Bond: अब आप आरबीआई रिटेल डायरेक्ट पोर्टल पर भी सॉवरेन सोना खरीद सकते हैं। सरकार जनता को सस्ते दामों पर सोना खरीदने का मौका दे रही है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम 2021-22-सीरीज-VIII की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 की बिक्री 29 नवंबर, 2021 से शुरू हो गई है।

Sovereign Gold Bond

वहीं, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की खरीद अब हाल ही में लॉन्च किए गए पोर्टल के जरिए की जा सकेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम 2021-22-सीरीज-8 की बिक्री जारी है और यह उसके नए पोर्टल ‘RBI Retaildirect. org. in’ (https: / / rbirtaildirect. org) पर जाकर खरीदा जा सकता है।

अब तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड केवल वाणिज्यिक बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL) , नामित डाकघरों, मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों, NSE और BSE द्वारा मान्यता प्राप्त स्टॉक Exchanges के माध्यम से बेचे जाते थे।

लेकिन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) खरीदने वालों के लिए आरबीआई पोर्टल भी एक नया विकल्प बन गया है। जहाँ से सस्ते दामों पर सोना खरीदा जा सकता है।

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पीएम मोदी ने किया पोर्टल का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने इस नए पोर्टल का उद्घाटन किया था। इस पोर्टल पर जाकर कोई भी सस्ते दामों पर सोना, सीधे ट्रेजरी बिल, सिक्योरिटीज, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) खरीद सकता है।

रिजर्व बैंक में खुलेंगे आरडीजी खाता

आरबीआई की नई योजना के तहत खुदरा निवेशकों को आरडीजी खाता ऑनलाइन खोलने की सुविधा होगी। इन खातों को निवेशकों के बचत खाते से जोड़ा जा सकता है। रिटेल डायरेक्ट गिल्ट (RDG) खाते का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों को जारी करने की प्रक्रिया का हिस्सा बनने और द्वितीयक बाज़ार गतिविधियों में भाग लेने के लिए किया जा सकता है।