पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की प्रतिक्रिया: चुनाव लड़ना एक जन भागीदारी है और लोगों की भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ सामंजस्य है।हाल ही में सरकार ने जो पंचायत चुनाव रद्द किए, चुनाव आयोग के माध्यम से पंचायत चुनाव रद्द होने का अपडेट प्राप्त हुआ।
इस पर एक प्रत्याशी अपनी भावनाओं के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त करता है । मैं हाल ही में पंचायत के सरपंच का चुनाव लड़ने की उम्मीदवारी रखता था और मैदान में उतर चुका था लेकिन पंचायत चुनाव रद्द होने पर ना खुशी ना गम ।
जो भी कदम उठाना था सोच समझकर उठाना था, पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी
लेकिन एक चीज जरूर है कि सरकार को जो भी कदम उठाना चाहिए था सोच समझकर उठाना चाहिए था।मैं भारतीय संविधान के नियमों का पालन चाहता हूँ और भारतीय संविधान के अनुसार होना चाहिए, वह होना जरूरी है।
मेरा कहने का मतलब है कि जो भी काम सरकार को करना चाहिए वह बड़े ही सोच समझ कर करना चाहिए, यह ग्रामीण इलाकों या छोटे-छोटे गाँव का चुनाव होता है यहाँ कोई बड़े नेता मंत्री मिनिस्टर चुनाव में भाग नहीं लेते हैं।यहाँ पर छोटे-छोटे लोग चुनाव में पंच सरपंच जनपदों जिला पंचायत सदस्य भाग लेते हैं और उनसे खर्च भी कुछ कम या ज्यादा हो जाता है।
सोच समझ कर करना चाहिए था
लेकिन ऐसी परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो यह एक किस्म का छलावा कह सकते हैं ।हम यह नहीं चाहते कि किसी का आरक्षण छिने, किसी का हक और अधिकार छीने, लेकिन एक ही बात करना चाहता हूँ कि सरकार को जो भी करना चाहिए था सोच समझ कर करना चाहिए था।
हाल ही में जो भी प्रत्याशी चुनाव में उतरे पंच से लेकर सरपंच जिला पंचायत और जनपद सदस्य तक वह ना ही हारे हुए हैं और ना ही जीते हुए हैं।बस थोड़ा-सा इस बात का गम है कि लोग जब मैदान में उतरते हैं तो उतरने के बाद बिना ही रिजल्ट के मैदान से हटा दिया जाता है इस बात का थोड़ा लोगों को दर्द होता है ।
लोगों का हुआ फिजूल खर्च
छोटी-छोटी गाँव लेवल पर जब चुनाव फॉर्म भरने से पहले नोड्यूज की प्रक्रिया बनाते हैं तो उसमें भी मनमाना पैसा वसूल किया जाता है।यहाँ तक कि सरकार ने पूर्व में छूट का आश्वासन देने वाले विद्युत मंडल के बिल बकाया को भी पूर्ण रूप से भर लिया गया है।
लेकिन ठीक है यह तो देना है वह दे दिया।लेकिन लोगों का ख्वाब होता है कि नया चेहरा नया प्रत्याशी सामने आए और रुके हुए कार्यों व विकास कर सकें।ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ ऐसी भी बदले की भावना होती है कि लोग यह समझते हैं कि यह काम मेरे द्वारा नहीं दूसरे के द्वारा होगा।तो लोगों की भावनाओं पर खरा उतरने के लिये प्रत्याशी पंचायत चुनाव मैदान में उतरता है। लेकिन मैदान छोड़ना पड़ा।अब पता नहीं सरकार कब मैदान ग्राउंड बनाती है ।
आप खड़े हैं बिना हार जीत के खड़े रहे
हम सरकार के नियमों और कानूनों का पालन करते हैं साथ में चुनाव आयोग के दिए हुए निर्देशों का पालन करते हैं।लेकिन फिर भी मैं कहूंगा कि जो भी करना चाहिए था सोच समझ कर करना चाहिए था। इस पर किसका दोस है? यह तो जनता जनार्दन जानती है ।
मैं एक चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी लोगों से यह कहना चाहता हूँ कि आप मैदान में उतरे बिना हार जीत के आप खड़े हैं, और जनता के बीच हमेशा खड़े रहे।दूसरों की भलाई, लोगों के रुके हुए कार्य को पूरा करने की पूरी कोशिश करें।
BALBODI RAMTORIYA सरपंच प्रत्याशी: मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूं अपनी पंचायत रामटोरिया के लोगों का मेरे हिसाब से मेरे लिए अच्छा रिस्पांस मिला उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
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